नई दिल्ली, एजेंसी First Published:20-11-2015 06:40:51 PMLast Updated:20-11-2015 06:40:51 PM
ट्रेड यूनियनों ने सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया है। भाजपा और वाम दलों से संबंधित यूनियनों ने प्रस्तावित वेतनवृद्धि पिछले कई दशक में सबसे कम है और यह मुद्रास्फीति को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव वीरेश उपाध्याय ने कहा कि यह रिपोर्ट निराशाजनक है और हम इसका विरोध करते हैं।
वास्तव में शुद्ध वेतन में 16 प्रतिशत की वृद्धि होगी, 23.55 प्रतिशत की नहीं, जैसा कि बताया जा रहा है। अधिकतम और न्यूनतम वेतन में भारी अंतर है। उन्होंने कहा कि ग्रैच्युटी की गणना के लिए वेतन की अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 10 लाख से 20 लाख किया गया है। इसका फायदा केवल वरिष्ठ अधिकारियों को मिलेगा।
भाकपा समर्थित आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का यह कहते हुए विरोध किया है कि मुद्रास्फीति के हिसाब से पिछले तीन दशक में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में यह सबसे कम वृद्धि की गयी है।
एटक के महासचिव गुरदास दासगुप्ता ने कहा यह बिल्कुल निराशाजनक है, पिछले तीन दशक में यह सबसे कम वृद्धि की सिफारिश है। मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए यह असंतोषजनक है। वेतन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के माथुर ने गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली को आयोग की सिफारिशें सौंपी। इन्हें आगामी पहली जनवरी से लागू किया जाना है। आयोग ने वेतन, भत्ते और पेंशन में 23.55 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की है। इससे केंद्र सरकार के 47 लाख कर्मचारियों और 52 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा।
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